इस पोस्ट में NCERT कक्षा 10 हिन्दी के पद्य भाग के पाठ नौ ‘संगतकार कविता का भावार्थ कक्षा 10 हिंदी’ (NCERT Hindi Chapter 9 Sangatkar Class 10 Explanation) के व्याख्या को पढ़ेंगे।
9. संगतकार
कवि- मंगलेश डबराल
मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड में स्थित टिहरी गढ़वाल के काफलपानी में हुआ था। देहरादून से शिक्षा प्राप्त करने के बाद ये दिल्ली आकर हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष तथा आसपास से जुड़ गए। अमृत प्रभात,, जनसत्ता और सहारा समय में संपादन के पश्चात इन दिनों ये नेशनल बुक ट्रस्ट में अपनी सेवा दे रहे हैं।
इनके प्रमुख काव्य संग्रह पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है तथा नए युग में शत्रु। इनके प्रमुख गद्य संग्रह लेखक की रोटी तथा कवि का अकेलापन है। इनकी कविताएँ विदेशी भाषा में भी अनुवादित है। डबराल भी एक ख्याति प्राप्त अनुवादक हैं। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान, पहल सम्मान, कुमार विमल स्मृति पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया है।
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई
भावार्थ- प्रस्तुत कविता में मुख्य गायक के साथ देने वाले सगंतकार की भूमिका के महत्व पर विचार किया गया है। नाटक, फिल्म, संगीत आदि के अलावा समाज और इतिहास में ऐसे बहुत से प्रसंग हुए हैं, जहाँ नायक की सफलता में अनेक लोगों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इसलिए कवि कहता है कि मुख्य गायक के चट्टान जैसी दमदार और भारी स्वर का साथ देती हुई एक मधुर, कमजोर और काँपती हुई आवाज सुनाई देती है। कवि यह अनुमान लगाता है कि जो आवाज मुख्य गायक का साथ दे रही है, वह मुख्य गायक का छोटा भाई या उसका शिष्य या पैदल चलकर सीखने आने वाले दूर के किसी रिश्तेदार की होगी। Sangatkar Class 10 Explanation
रिश्तेदार मुख्य गायक की गरज़ में |
वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है जैसे
समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।
भावार्थ- प्राचीन काल से संगतकार मुख्य गायक की आवाज में अपनी गूँज मिलाता आया है। वह मुख्य गायक को आधार प्रदान करता है। उसके गायन के खालीपन को भरता है।
कवि कहते हैं कि जब मुख्य गायक गाते-गाते अलौकिक आनंद में डूब जाता है और उसे पास बैठे श्रोताओं की एहसास ही नहीं रहती। उस समय संगतकार मुख्य गायक और श्रोतागण के बीच सेतु का कार्य करते हुए कार्यक्रम में सुंदरता भर देता है। उस समय ऐसा लगता है जैसे मुख्य गायक का पिछा छूटा हुआ सामान को वह समेट रहा हो और वह उसे बचपन का याद दिला रहा हो, जब वह संगीत सीख रहा था।
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढस बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
भावार्थ- जब मुख्य गायक का गला ऊँचे स्वर में गाते समय बैठने लगता है, प्रेरणा उसका साथ छोड़ने लगती है या उत्साह कम होने लगता है। आवाज बुझने लगती है, तभी मुख्य गायक को ढाँढ़स बढ़ाता हुआ संगतकार कहीं से आकर गीत गाने लगता है। कभी-कभी वह मुख्य गायक को यह बताने के लिए साथ देता है कि वह अकेला नहीं है। अर्थात् मुख्य गायक के साथ संगतकार है और जिस राग को गाया जा चूका है, उसे फिर से गाया जा सकता है। संगतकार अपने स्वर से उसका साथ देता है।
यह सब करते समय उसकी आवाज में एक हिटकिचाहट साफ सुनाई देती हैा यह संगतकार की अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है, उसे विफलता नहीं मानी जानी चाहिए, वह तो उसकी मानवीयता है।
अत: कवि कहता है कि किसी भी क्षेत्र में नायक का साथ देने वाले ऐसे व्यक्तियों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। ऐसे ही व्यक्तियों के बल पर दूसरे लोग सफलता प्राप्त करते हैं। Sangatkar Class 10 Explanation
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