इस पोस्ट में NCERT के हिन्दी क्षितिज भाग 2 के पद्य भाग के पाठ एक ‘सूरदास के पद कक्षा 10 हिंदी’ (NCERT class 10 Hindi Surdas ke pad) के सरल व्याख्या को जानेंगे। CBSE Board class 10 Hindi पद्य Chapter 1 Surdas ke pad in Hindi
1. सूरदास
सूरदास का जन्म 1478 में हुआ था।
इनका जन्म मथुरा के रूनकता रेणुका जगह पर हुआ था। इनका जन्म दिल्ली के पास सिही माना जाता है। वे मथुरा और वृंदावन के बीच गऊघाट पर रहते थें।
इनकी मृत्यु 1583 में परसौली में हुआ था। उनके तीन ग्रंथ थे- सूरसागर, साहित्य लहरी और सूर सारावाली। जिसमें सबसे लोकप्रिय सूरसागर ही हुआ।
सूरदास ‘वात्सल्य’ और ‘श्रृंगार’ के श्रेष्ट कवि माने जाते हैं।
उनकी कविता ब्रजभाषा में लिखी हुई है। यहाँ सूरसागर के भ्रमरगीत से चार पद लिए गए हैं।
मथुरा जाने के बाद स्वयं न लौटकर उद्धव के जरिए गोपियों के पास श्रीकृष्ण ने संदेश भेजा था। उद्धव निर्गुण ब्रह्म एवं योग का उपदेश देकर गोपियों के विरह वेदना को शांत करने का प्रयास किया लेकिन गोपियाँ नहीं मानी। वह ज्ञान मार्ग के बजाय प्रेम मार्ग को पसंद करती थी। इसलिए उन्हे उद्धव का संदेश पसंद नहीं आया। तभी वहाँ एक भौंरा यानी भ्रमर उड़ता हुआ आ गया, गोपियों ने व्यंग्य के द्वारा उद्धव से अपने मन की बातें कहीं। अर्थात तभी गोपियाँ ने भ्रमर के बहाने उद्धव पर व्यंग वाण छोड़ें। इसलिए उद्धव और गोपियों का संवाद ‘भ्रमरगीत’ नाम से प्रसिद्ध है।
पहले पद में गोपियों कि यह शिकायत वाजिब लगती है कि जब उद्धव स्नेह के धागे से बंधे रहते तो वो विरह के वेदना को अनुभव नही कर पाते। उद्धव, श्रीकृष्ण के पास रहने के बावजूद भी उन्हें प्रेम की पीड़ा का एहसास नहीं होता है।
दूसरे पद में गोपियाँ यह स्वीकार करती है कि उनके मन की अभिलाषाएँ मन में हीं रह गई। कृष्ण के लिए उनके प्रेम की गहराई को प्रकट करती है। तीसरे पद में वे उद्धव की योग साधना को कड़वी-ककड़ी जैसा बताकर अपने एकता वाले प्रेम के विश्वास को प्रकट करती हैं। चौथे पद में उद्धव को ताना मारती है कि कृष्ण ने अब राजनीति पढ़ ली है और अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को प्रजा की हित याद दिलाया जाना सूरदास की लोकधार्मिता को दर्शाता हैं।
NCERT class 10 Hindi Surdas ke pad Chaper 1 kavya khand Hindi Vyakhya
पद
(1)
ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।।
भावार्थ- इस पद में गोपियाँ श्री कृष्ण के मित्र से कहती है कि तुम बहुत भाग्यशाली हो जो अपने मित्र श्री कृष्ण के पास रहकर भी उसके प्रेम को नहीं जान पाए। उनसे प्रेम नहीं कर पाए। नही तो आपको भी उनसे दूर होने की दर्द सहन करना होता। आप बिल्कुल पानी में खिले कमल के पत्ते की तरह है जो पानी के भितर रहकर भी अछुते रहते हैं। जिस तरह तेल की गगरी को अगर पानी में डालकर निकाले फिर भी कुछ न हो पाए यानी तब भी वह गीला न हो। बिल्कुल आप वैसे ही है। जो श्री कृष्ण के इतने पास होकर भी उनके प्रेम से अंजान है। उनका प्रेम आपको छु नहीं पाया है। प्रेम की नदी में आप अपने पैर भी नही डुबोया और नही उन पर नजर डाली। लेकिन हम गोपियाँ तो अबला है। श्री कृष्ण के प्रेम में इस तरह चिपट गए। जैसे गुड़ से चिटियाँ लिपट जाती है और प्राण खो देती है।
(2)
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।
भावार्थ- इस पद में गोपियाँ कहती है कि हमने अपने मन की बात मन में ही रख लिए। लेकिन उद्धव आप जो संदेश लेकर आए हैं वह तो ठीक है पर अपनी मन की बात से नहीं कह पाएँगे। क्योंकि अपनी मन की बात आपको कहना उचित नहीं मानतें। हम गोपियाँ ये सोंचकर अपने मन में बातें रखी थी कि कभी श्री कृष्ण वापस लौटकर आऐंगें तो हम उन्हें अपनी मन की बात बताएँ। लेकिन इतना समय बित गया वो नहीं आए और श्री कृष्ण ने जो संदेश भेजा, उससे हम गोपियाँ और दुःखी हो गए। उन्होंने ये संदेश भेजकर आग में घी डालने का काम किया है। ऐसे परिस्थति में हम अपने रक्षक को बुलातें है सहायता के लिए लेकिन यहाँ तो हमारे रक्षक ही हमारे दुःख का कारण बनें हैं। हम गोपियाँ चाहते हैं कि हमें प्रेम के बदले प्रेम मिले। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब हम अपनी मरयादा पार कर रहें हैं। हम अपने दिल कि बात नहीं बताना चाहतें हैं लेकिन अब हम बतातें हैं कि हमें कितना तकलीफ हो रही है।
NCERT class 10 Hindi Surdas ke pad Chaper 1 kavya khand in Hindi
(3)
हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह कान्ह जकरी।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।
यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपो, जिनके मन चकरी।।
भावार्थ- इस पद में गोपियाँ कहती है कि श्री कृष्ण हमारे लिए हारिल कि लकड़ी है। जिस प्रकार हारिल पक्षी अपने पैरों में दबाई लकड़ी को नहीं छोड़ता, उसी प्रकार हमने मन, क्रर्म, वचन, नंद सभी से श्री कृष्ण को अपना माना है। हमने जागते, सोते, सपने में, दिन में, रात में हर समयय में मेरे रोम-रोम में कान्हा ही कान्हा है सिर्फ कान्हा यानी श्रीकृष्ण। इसलिए जो आप हमारे लिए संदेश लाए हैं वो कड़वी ककड़ी के समान है। हमें कृष्ण के प्रेम का लत लग चुका है उनका प्रेम का रोग इसलिए आपका कुछ भी कहने से हम अपने प्रेम पर रोक नहीं लगा सकतें। इसलिए आप ये संदेश उन्हें जाकर दिजिए जो चंचल है। यानी जिन्हे अलग-अलग चीजें पसंद आ जाती है।
NCERT class 10 Hindi Surdas ke pad Chaper 1 kavya khand
(4)
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।।
भावार्थ- इस पद में गोपियाँ कहती है कि श्री कृष्ण वहां जाकर राजनीति पढ़ ली है। इसलिए वह अपना फायदा नुकसान देखकर कोई कार्य करते हैं। क्योंकि वो तो पहले से ही चालाक थे और वो वहाँ मथुरा जाकर बहुत से ग्रंथ पढ़ लिए हैं। गोपियाँ सारी बातें तो भौंरा से कह रही है पर सभी अपने आसपास के लोगों को सुनाकर कह रही हैं। अब श्री कुष्ण की बुद्धि बहुत बढ़ गई है। अब तो चालाक हो गए हैं इसलिए अपना फायदा नुकसान देखकर हीं कोई काम करतें हैं। इसलिए वो हमारे लिए ये संदेश भेजा है पर आप मथुरा जाकर श्री कृष्ण को कहिएगा कि वो साथ में हमारा मन भी ले गए। जिसे वापस कर दें। अब श्री कृष्ण तो मथुरा के राजा हैं और राजा का कार्य होता है। अन्याय न करें पर वो तो हमारे साथ हीं अन्याय कर रहें हैं। इसलिए कि वो हमें न चाहकर किसी और को चाह रहें हैं।
NCERT class 10 Hindi Surdas ke pad Chaper 1 kavya khand
NCERT Class 10 Notes in Hindi Medium
1 | Class 10th Hindi |
2 | Class 10th Social Science |
3 | Class 10th Maths |
4 | Class 10th Science |
5 | Class 10th Sanskrit |
6 | Class 10th English |
7 | Class 10th Objectives |
Sukh Ram says
सूरदास का पाठ पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
Pooja says
Bhut aacha laga
amit says
jo ek din pahle dekh rhe h legends attendence laga do 🔥🔥🔥💥
.shruti says
Me
Satya says
Me
Gunjan says
Thanks for giving us vyakhya’ s meaning
Priyanshu says
Very nice
Very good
Hmm badiya mitrr
It’s help full
बड़ा परिवारिक माहौल है 🙂
Hindi
Bahut accha laga
सुंदर व्याख्या।
Yrr saara smjh aa gya
In a easy and understanding language..
Hmm badiya mitrr
It’s help full
Tomorrow is my board exam🤣😅😅🤣
very nice vakhaya of surdas ke pad
Thanks a lot for appriciating.
Very nice
Nice 👍
परिस्थति spelling was in correct in 2nd pad last 4th line make sure to check out it’s परिस्थिति
👍👍👍👍 very nice 🙂🙂🙂🙂🙂
Good 😊
Very nice explanation.
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