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NCERT Class 10th Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक | Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

November 4, 2023 by Raja K Leave a Comment

इस पोस्‍ट में NCERT कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान अर्थशास्‍त्र के पाठ दो ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak class 10 Economics)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।

पाठ 2
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ……………. (हुई है/नहीं हुई है)
(ख) ………………….. क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक / कृषि)
(ग) …………………… क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोज़गार – सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में ……………… अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़े / छोटे)
(ङ) कपास एक ……………… उत्पाद है और कपड़ा एक ………………… उत्पाद है। (प्राकृतिक / विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ ………………… हैं। (स्वतंत्र / परस्पर निर्भर)
उत्तर-   (क) नहीं हुई है
          (ख) कृषी
          (ग) संगठित
          (घ) बड़ी
          (ड.) प्राकृतिक, विनिर्मित
          (च) परस्‍पर निर्भर
2. सही उत्तर का चयन करें.
(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं:
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव (ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ………………. क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
(स) किसी वर्ष में उत्पादित …………………… कुल मूल्य को स. घ. उ. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(द) स.घ.उ. के पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी ………………….. प्रतिशत है।
(क) 20 से 30
(ख) 30 से 40
(ग) 50 से 60
(घ) 60 से 70
उत्तर-   (अ) ग
          (ब) ख
          (स) ख
          (द) ग
Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak
3.निम्‍नलिखित का मेल किजिए-

उत्तर-   (1) द
(2) ब
(3) य
(4) अ
(5) स

4. विषम की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन – निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
साख उपलब्ध कराना
(घ) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इण्डिया, जेट एयरवेज़ ऑल इण्डिया रेडियो ।
उत्तर- (क) पर्यटन – निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार 

5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों का अध्ययन करके निम्न आँकड़े जुटाए

उत्तर-

कार्य स्‍थान रोजगार की प्रकृति श्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में संगठित 15
औपचारिक अधिकार पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनक संगठित 15
सड़कों पर काम करते जोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक असंगठित 20
छोटी कार्यालयों में काम करते लोग जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं। असंगठित 50

इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता 70 है।

6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे ?

उत्तर- हाँ हम मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक द्वितीय एवं तृतीय क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है। क्षेत्रों पर आधारित एक अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण या प्रदर्शित करता है कि आर्थिक क्रियाएँ तीन प्रकार की होती है। कृषि डेयरी और खनन से संबंधित क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र कहलाता है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था इन संसाधनों से अपनी जीविका प्राप्त करती है। जैसा कि हम जानते हैं कि भूमि एक प्राकृतिक साधन है तथा साथ-साथ या सीमित भी है। इसलिए हमें अपने आपको निर्माण एवं औद्योगिक क्रियाओं में उत्तेजित करना चाहिए। इस कारण द्वितीय क्षेत्र को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राथमिक एवं द्वितीयक को सहायता प्रदान करने के लिए परिवहन संचार वित्त सीमा आदि की आवश्यकता होती है। यह सभी सेवाएँ तृतीय क्षेत्र प्रदान करता है इसलिए हम कह सकते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक द्वितीय एवं तृतीय क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है।

Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।

उत्तर- इस पाठ का अध्ययन करते समय हमने देखा कि आर्थिक क्रियाएँ प्राथमिक द्वितीयक प्रथा तृतीयक में वर्गीकृत है हमें अपने वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए प्रत्येक क्षेत्र के रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर केंद्रित होना चाहिए। क्योंकि बेरोजगार लोगों का सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय कम होने पर अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हो सकता है।

8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- जीविका के लिए काम करने वाले वयस्कों की सूची इस प्रकार है।  
(i) कृषि  
(ii) सेवाएँ
(iii) व्यवसाय  
(iv) परिवहन  
(v) डेयरी  
(vi) मछली पालन
(vii) माल ढ़ोना  
(viii) खनन
(ix) दुकानदार
(x) बुनाई कार्य
(xi) दर्जी
(xii) बाल काटना
(xiii) सड़क पर माल बेचना
(xiv) संचार
(xv) बीमा
(xvi) वित्त
(xvii) निर्माण कार्य आदि
वर्गीकरण:
(i) प्राथमिक क्षेत्र- मछली पालन, खनन, कृषि आदि।
 (ii) द्वितीय क्षेत्र- निर्माण कार्य, होटल सुविधा आदि।
 (iii) तृतीय क्षेत्र- बैंकिंग बीमा संचार एवं परिवहन आदि।

9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए ।

उत्तर- तृतीय क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहते हैं। यह क्षेत्र परिवहन संचार बीमा तथा बैंकिग आदि से संबंधित सेवाएँ प्रदान करता है। यह खेत पर आदमी के वृति क्षेत्रों को अपनी उत्पादों को बाजार में विक्रय करने के लिए सेवाएँ प्रदान करता है। जबकि प्राथमिक तथा देती क्षेत्र में वस्तु तथा सेवा का केवल उत्पादन किया जाता है। इसलिए तृतीयक क्षेत्रकों से भिन्‍न माना जाता है। उदाहरण स्वरुप प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त गन्‍ने से द्वितियक क्षेत्र में चीनी बनाई जाती है, जबकि चीनी का विक्रय करने के लिए तृतीय क्षेत्र की सेवाओं का उपयोग किया जाता है।

10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए ।

उत्तर- जब श्रम की सीमांत शारीरिक उत्पादकता शुन्‍य या नकारात्मक हो जाए तो इस स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं भारत में लक्षण बेरोजगारी की दर 25% से 30% तक है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकता से अधिक लोग कृषि करते हैं जिससे ऐसा लगता है कि सभी लोग खेती में व्यस्त है। परंतु वास्तव में भी आंशिक रूप से रोजगार प्राप्त करते हैं। शहरी क्षेत्रों में अधिकतर लोग बेरोजगार हैं उनकी नौकरी उनकी योग्यता एवं अनुभव से अलग होती है इसलिए वे लोग प्रच्छन्न बेरोजगारी से पीड़ित होते हैं।

11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए ।

उत्तर- खुली बेरोजगारी और प्रच्‍छन्‍न बेरोजगारी के बीच विभेद निम्नलिखित हैं  

(i) खुली बेरोजगारी एक अस्थाई प्रकृति की होती है जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी एक और स्थाई प्रकृति की होती है।  (ii) खुली बेरोजगारी में वह स्थिति जिसके अंतर्गत योग्‍य लोग मजदूरी की वर्तमान दरों पर कार्य करना चाहते हैं। परंतु कार्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी में जब श्रम की सीमांत शारीरिक उत्पादकता शुन्‍य या नकारात्मक हो जाए तो इस स्थिति को प्रच्‍छन्‍न बेरोजगारी कहते हैं।

Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

12. “ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है। ” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए ।

उत्तर- नहीं हम इस बात से सहमत नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीय क्षेत्र कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है। इसके महत्व की विवेचना निम्नलिखित आधार पर की जाती है

ग्राफ बनाना है

13. भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं। ये लोग कौन हैं?

उत्तर- भारत में सेवा क्षेत्र रख दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है  

(i) और शिक्षित एवं और कुशल लोग  

(ii) शिक्षित एवं कुशल लोग

14. “ असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए ।

उत्तर- हाँ निम्नलिखित कारणों के कारण असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।  

(i) सामान्यता असंगठित क्षेत्र में लोगों को और नियमित कार्य प्राप्त होता है। जब कार्य अधिक नहीं होता है तो नियोक्ता (Employer) श्रमिकों को नौकरी से निकाल देता है। 

(ii) असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए नौकरी सुरक्षा (Job security) नहीं होती है। क्योंकि उन्हें बिना किसी कारण नौकरी से निकाला जा सकता है।

(iii) उन्हें कम छुट्टियाँ दी जाती है तथा बीमारी आदि की छुट्टियों के लिए भुगतान नहीं किया जाता है। उन्हें अतिरिक्त समय लगाना पड़ता है जिसके लिए उन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता है।

15. अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?

उत्तर- आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर दो क्षेत्रकों अर्थात संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों के रूप में वर्गीकृत की जाती है। संगठित क्षेत्र में रोजगार की शर्तें कर्मचारियों को बता दी जाती है तथा प्रत्येक कर्मचारी को इन शर्तों का पालन करना पड़ता है। जबकि असंगठित क्षेत्र में कर्मचारी किसी भी प्रकार के नियम का पालन नहीं करते हैं।

16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार – परिस्थितियों की तुलना करें।

उत्तर- संगठित और असंगठित क्षेत्र को को रोजगार परिस्थितियों की तुलना निम्नलिखित है। संगठित क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा उन्हें सरकार के नियमों एवं नियमों का पालन करना पड़ता है। इस क्षेत्र के सभी श्रमिकों को रोजगार के सुरक्षा प्राप्त होती है। उन्हें केवल निश्चित घंटों के लिए कार्य करना पड़ता है जब वे अवकाश ग्रहण कर लेते हैं, तो उन्हें पेंशन की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त असंगठित क्षेत्र छोटे होते हैं तथा सरकार के नियंत्रण से बाहर होते हैं। इस क्षेत्रक में कुछ नियम तथा नियमन होते हैं परंतु श्रमिकों द्वारा उनका पालन नहीं किया जाता है। श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान किया जाता है, तथा रोजगार और नियमित होता है। इस क्षेत्र में अतिरिक्त समय की कोई व्यवस्था नहीं होती है। श्रमिकों को किसी भी समय काम से निकाला जा सकता है।

17. मनरेगा 2005 (MGNREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर- मनरेगा 2005 (MANREGA 2005) के उद्देश्य की व्याख्या निम्नलिखित है। भारतीय केंद्रीय सरकार ने हाल ही में भारत के 200 जिलों में कार्य करने के अधिकार से संबंधित कानून बनाया है। इस कानून को मनरेगा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आश्वासन अधिनियम 2005 कहते हैं। इस कानून को बनाने का उद्देश्य उन लोगों को जो कार्य करने योग्य है, तथा जिन्हें कार्य की आवश्यकता है। सरकार द्वारा 1 वर्ष में 100 दिनों का रोजगार का आश्वासन देना है। यदि सरकार इस उद्देश्य की प्राप्ति में असफल रहती तो वह लोगों को रोजगार छूट देगी।

Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना तथा वैषम्य कीजिए ।

उत्तर- निजी क्षेत्रक में संपत्ति एवं सेवाओं की डिलीवरी का स्वामित्व निजी व्यक्तियों या कंपनी के पास होता है। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की स्थिति में संपत्ति या संसाधनों का स्वामित्व सरकार के पास होता है। रेलवे एवं डाकघर सार्वजनिक क्षेत्र के उदाहरण है जबकि टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड निजी क्षेत्र का उदाहरण है। सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकतर सरकार के स्वामित्व में होते हैं, तथा इनसे लोगों का कल्याण किया जाता है। निजी क्षेत्र सर्वप्रथम लाभ को प्राथमिकता देते हैं तथा बाद में लोगों के कल्याण को।

19. अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:

उत्तर-

क्षेत्रक सुव्‍सवस्थित प्रबंध वाले संगठन अव्‍यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
1 सार्वजनिक क्षेत्रक MTNT, भारतिय रेलवे, आल इंडिया रेडियो DTC, भारतिय खाद्ध निगम
2 निजी क्षेत्रक टाटा, इन्‍फोसिस, रिलायंस दिल्‍ली का बिजली विभाग (DESU)

20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधि यों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता है?

उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्र की गतिविधियों का उदाहरण निम्नलिखित है।  

(i) बिजली सृजन  

(ii) बांधों द्वारा सिंचाई की व्यवस्था करना  

(iii) रेलवे का निर्माण  

(iv) सर को एवं पुलों का निर्माण

गतिविधियों का कार्यान्वयन सरकार द्वारा इसलिए किया जाता है। क्योंकि इन कार्यों में बहुत अधिक मात्रा में खर्च किए जाते हैं तथा इन कार्यों में प्राप्त होने वाला लाभ सदैव खर्चों से बहुत कम होता है।

22. व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?

उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकतर किराया लोगों के कल्याण के लिए की जाती है। सड़कों पूर्व रेलवे आदि का निर्माण बिजली सृजन एवं बंधुओं द्वारा सिंचाई व्यवस्था आदि सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं के बिना किसी भी देश का आर्थिक विकास असंभव है।

22. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य | उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए ।

उत्तर- असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को मजदूरी पर संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि उन्हें उनके कठिन परिश्रम के बदले कम भुगतान किया जाता है। श्रमिकों की नौकरी की सुरक्षा होनी चाहिए क्योंकि उन्हें उनके नियोक्ता द्वारा किसी भी समय बिना किसी कारण के कार्य से निकाला जा सकता है। स्वास्थ्य सुविधाएँ श्रमिकों को उचित रूप से उपलब्ध होनी चाहिए ताकि श्रमिक कुशलता से कार्य कर सकें।

Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

23. अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक

असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी इसमें से 320 करोड़ रुपए संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इस आँकड़े को तालिका में प्रदर्शित कीजिए । नगर में और अधिक रोजगार-: र-सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए?

उत्तर-

वर्ष संगठित क्षेत्रक असंगठित क्षेत्रक कुल जोड़
1997-98 श्रमिक 4,00,000 11,00,000 15,00,000
1997-98 आय 320 करोड़ 280 करोड़ 600 करोड़

इस तालिका से प्रदर्शित होता है कि अधिकतर श्रमिक और संगठन क्षेत्र में कार्य करते हैं एवं उनके द्वारा अर्जित आए केवल 280 करोड़ है इसके अतिरिक्त 4 00000 श्रमिक संगठित क्षेत्र में कार्य करते हैं तथा उनके द्वारा 320 करोड रुपए से अधिक है। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए हमें अधिक संख्या में संगठित क्षेत्र की स्थापना करनी चाहिए तथा इस क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जाना चाहिए।

24. निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) रुपए (करोड़) में दिया गया है:

(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स. घ. उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए ।

(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख – 2 के समान एक दण्ड – आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए । (ग) दण्ड- आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते है?

उत्तर- (क) 2000 से 2013 तक जी०डी०पी में तीनों चित्रकूट ही हिस्सेदारी निम्नलिखित है।

वर्ष प्राथमिक द्वितियक तृतीयक
2000 22.73% 20.73% 57.50%
2013 13.94% 18.77% 67.36%

(ख) चार्ट बनाना है

(ग) चित्र से प्रदर्शित होता है कि सन 2000 में प्राथमिक क्षेत्र का जीडीपी में 22. 22% भाग था जो 2013 में घटकर केवल 13.94% रह गया। जबकि 2000 में तृतीय क्षेत्र का जी०डी०पी 97.05% था। जो 2013 में बढ़कर 67.36 हो गया इससे यह प्रदर्शित होता है कि तृतीय क्षेत्र में उन्नति हो रही है एवं हमारा रोजगार अब कृषि पर निर्भर नहीं है।

Bhartiya arthvyavastha ke kshetrak

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